आरती लोकेश के कथा-साहित्य में चित्रित स्त्री-संघर्ष

Authors

  • डॉ. सुशील कुमार Author

DOI:

https://doi.org/10.64675/

Keywords:

लैंगिक असमानता, अन्तर्वेदना, स्वतन्त्रचेता अस्तित्व, जागरुकता, संघर्ष, पितृसत्ता, भ्रूण हत्या, सकारात्मक बदलाव, संवेदनशील दृष्टि, कुत्सित मानसिकता, शारीरिक

Abstract

आरती जी के कथा साहित्य में स्त्री जीवन के विभिन्न पक्षों के संघर्षों को उकेरा गया है। स्त्री को यह संघर्ष मुख्यतः समाज में लैंगिक असमानता के आधार पर होने वाले भेदभाव के कारण करना पड़ता है। स्त्री हृदय की संवेदना, मार्मिकता व अन्तर्वेदना को लेखिका ने आत्मीयता एवं गहराई से अनुभव करके उस अनुभव को रोचकता से गूँथने की कला-मर्मज्ञता आरती जी के कथा साहित्य में स्पष्ट दिखाई देती है। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से स्त्रीमन की अन्तरंग अनुभूतियों की अद्भुत आभा साहित्य के कैनवास पर बिखेरी है। वे अपनी रचनाओं में स्त्री के स्वतन्त्रचेता अस्तित्व की हिमायत करती हुई दिखाई देती हैं।

Published

2025-08-30