दलित महिलाओं की शिक्षाः सामाजिक गतिशीलता का साधन
DOI:
https://doi.org/10.64675/Keywords:
दलित महिलाएँ, शिक्षा, सामाजिक सशक्तिकरण, जाति भेदभाव, लैंगिक असमानता, सामाजिक न्याय, आर्थिक स्वतंत्रता, सामाजिक गतिशीलता।Abstract
यह अध्ययन भारत में दलित महिलाओं की शैक्षिक स्थिति और उसके सामाजिक गतिशीलता पर प्रभाव को उजागर करता है। ऐतिहासिक रूप से जाति और लिंग के दोहरे उत्पीड़न का सामना करने वाली दलित महिलाएँ शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भरता, सामाजिक सम्मान और आर्थिक स्वतंत्रता की ओर अग्रसर होती हैं। शिक्षा केवल व्यक्तिगत उन्नति का साधन नहीं, बल्कि जातिगत भेदभाव और लैंगिक असमानता जैसी गहरी सामाजिक संरचनाओं को चुनौती देने का एक माध्यम भी है। यह दलित महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करती है, सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी में सशक्त बनाती है तथा पीढ़ीगत गरीबी और उत्पीड़न के चक्र को तोड़ने में मदद करती है।





